सबद-47
अकर्म प्रकरण
अकर्म प्रकरण
पांडे बूझि पियहु तुम पानी।
जेहि मटिया के घर मां बैठे, तामे श्रृष्टि समानी।।
छप्पन कोटि जादौ जहं भीजैं, मुनिजन सहस अठासी।।
पैग-पैग पैगम्बर गाड़े, सो सभ सरि भौ मांटी।।
मच्छ कच्छ घरिआर बिआने, रिधुर नीर जल भरिया।।
नदिया नीर नरक बहि आवै, पसु मानुख सभ सरिया।।
हाड़ झरी झरि गूद गली गलि, दूध कहां से आया।।
सो ले पांडे जेंवन बैठे, मटियहि छूति लगाया।।
बेद कितेब छांड़ी देउ पांडे, ई सभ मन के भरमा।।
कहैं कबीर सुनो हो पांडे, ई सभ तोहरे करमा।।
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