सबद-62
माया प्रकरण
माया प्रकरण
माई मैं दूनो कुल उजियारी।
बाहर खसम नैहरै खायो, सोरह खायो ससुरारी।।
सासु ननद पटिया मिलि रखलौं, भसुरहिं परलौं गारी।
जारौं मांग मैं तासु नारि की, जिन सरवर रचल धमारी।।
जना पाँच कोखिया मिलि रखलौ, और दूइ अउ चारी।
पार परोसिनि करें कलेवा, संगहि बुधि महतारी।।
सहजे बपुरे सेज बिछावल, सूतलि मैं पांव पसारी।
आवों न जावों मरों नहिं जीवों, साहब मेटल गारी।।
एक नाम मैं निजु कै गहलौं, ते छूटल संसारी।
एक नाम मैं बदिकै लेखौं, कहैं कबीर पुकारी।।
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