सबद-41
प्रलाप प्रकरण
प्रलाप प्रकरण
पंडित देखहु मन मंह जानी।
कहूँ दऊॅं छूति कहाँ सौं उपजी, तबहि छूति तुम मानी।।
नादे विदे रिधुर के संगे, घटहीं मा घट सवचै।
अस्ट कॅंवल ह्वै पुहुमी आया, छूति कहाॅं ते उपजै।।
लख चउरासि नाना बासन, सो सभ सरि भौ माटी।
एकै पाट सकल बैठाये, छूति लेत दऊॅं काकी।।
छूतिहिं जेवन छूतिहिं अंचवन, छूतिहिं जगत उपाया।
कहैं कबीर ते छूति विवरजित, जाके संग न माया।।
No comments:
Post a Comment