सबद-61

माया प्रकरण

मरिहो रे तन का लै करिहो, प्रान छुटे बाहर ले डारिहो।
काया बिगुर्चन अनवनिभाँती, कोइ जारै कोइ गाड़ै मांटी।।
हिन्दू ले जारैं तुरक लै गाड़ैं, यहि विधि अंत दुनो घर छाड़ें।
कर्म फांस जम जाल पसारा, जस धीमर मछरी गहि मारा।।
राम बिना नर होइहो कैसा, बाट मांझ गोबरौरा जैसा।
कहैं कबीर पाछे पछितैहो, या घर से जब वा घर जैहो।।

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