सबद-59

माया प्रकरण

माया महा ठगिनि हम जानी।
तिरगुन फांस लिये कर डोलै, बोलै मधुरी बानी।।
केसव के कंवला ह्वै बैठी, सिव के भौन भवानी।
पंडा के मूरति होय बैठी, तीरथहॅूं में पानी।।
जोगी के जोगिनि होय बैठी, राजा के घर रानी।
काहू के हीरा होय बैठी, काहु के कौड़ी कानी।।
भग्ता के भग्तिन होय बैठी, ब्रह्मा के ब्रह्मानी ।।
कहैं कबीर सुनो हो संतो, ई सभ अकथ कहानी।।

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