सबद-113
सावधान प्रकरण
झूठेहिं जनि पतियाहु हो, सुनु सन्त सुजाना।
तेरे घटहीं में ठगपूर है, मति खोवहु अपाना।।
झूठे की मंडान है, धरती असमाना।
दसहुं दिसा वाकि फंद है, जिव घेरे आना।
जोग जप-तप संजमा, तीरथ ब्रत दाना।
नौधा बेद कितेब है, झूठे का बाना।।
काहू के वचनहिं फुरे, काहू करामाती।
मान बड़ाई ले रहे हैं हिन्दू तुरक जाती।।
बात वेंवते असमान की, मुद्दति निअरानी।
बहुत खुदी दिल राखते, बूड़े बिनु पानी।।
कहैं कबीर कासो कहौं, सकलो जग अंधा।
सांचे से भागा फिरै, झूठे का बन्दा।।
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