सबद-75

निर्भेद प्रकरण

ऐसो भरम बिगुरचनि भारी।
वेद कितेब दीन अउ दोजख, को पुर्खा को नारी।।
माटी का घट साज बनाया, नादे विंद समाना।
घट बिनसे का नाम धरहुगे, अहमक खोज भुलाना।।
एकै तुचा हाड़ मल मूत्रा, एक रिधुर एक गूदा।
एक बूंद सो सिस्टि रची है, को ब्रह्मन को सूद्रा।।
रजोगुन ब्रह्मा तमोगुन संकर, सतोगुनी हरि होई।
कहैं कबीर राम रमि रहिये, हिन्दू तुरक न कोई।।

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