सबद-87
हठयोग साधना प्रकरण
कबिरा तेरो बन कंदला में, मानु अहेरा खेलै।
बफुवारी आनंगु म्रिगा, रुची-रुची सर मेलै।।
चेतन रावल पावल खेड़ा, सहजै मूल बांधै।
ध्यान धनुस ग्यान बान, जोगी सर साधै।।
खट चक्र बधि कौल बेधि, जाय उजिआरी कीन्हा।
काम क्रोध लोभ मोह, हांकि साउज दीन्हा।।
गगन मध्ये रोकिन द्वारा, जहाँ दिवस नहिं राती।
दास कबीरा जाय पहुंचे, बिछुरे संगी साथी।।
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