Kabir ke sabad
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सबद-100
अन्योक्ति भ्रम प्रकरण
देखहु लोग हरिकेर सगाई, माय धरै पूत धियउ संग जाई।
सासु ननद मिलि अचल चलाई, मंदरिया ग्रिह बेटी जाई।।
हम बहनोई राम मोर सारा, हमहिं बाप हरि पूत्र हमारा।
कहैं कबीर ये हरि के बूता, राम रमै ते कुकरी के पूता।।
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