सबद-91
व्यापक दुःख प्रकरण
तन धरि सुखिया काहु न देखा, जो देखा सो दुखिया।
उदै अस्त की बात कहत हों, सबका किया विवेका।।
बाटे-बाटे सब कोइ दुखिया, का गिरिही बैरागी।
सुखाचार्ज दुःख ही के कारन, गर्भहिं माया त्यागी।।
जोगी जंगम ते अति दुखिया, तापस के दुःख दूना।
आसा त्रिस्ना सब घट व्यापे, कोइ महल नहिं सूना।।
सांच कहौ तो जग खीझै, झूठ कहा नहिं जाई।
कहैं कबीर तेई भौ दुखिया, जिन्ह यह राह चलाई।।
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