सबद-88

जीवात्मा विशेष प्रकरण

साउज न होय भाई साउज न होई, बाकी मांसु भखै सभ कोई।
साउज एक सकल संसारा, अविगति वाकी बाता।।
पेट फारि जो देखिय रे भाई, आहि करेज न आँता।
ऐसी वाकी मांसु रे भाई, पल-पल मांसु बिकाई।।
हाड़ गोड़ ले घूर पवारिनि, आगि धुवां नहिं खाई।
सीर सिंगी किछुवोनहिं वाके, पूछ कहाँ वै पावै।।
सब पंडित मिलि धन्धे परिया, कबिरा बनौरी गावै।

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