सबद-103
भक्ति भावनात्मक आत्मज्ञान प्रकरण
लोगा तुमहीं मति के भोरा।
ज्यों पानी-पानी मिलि गयऊ, त्यों धुरि मिला कबीरा।
जो मिथिला को सांचा व्यास, तोहरो मरन होय मगहर पास।।
मगहर मरै मरन नहिं पावै, अंतै मरै तौ राम लजावै।
मगहर मरै सो गदहा होय, भल परतीत राम सों खोय।।
का कासी का मगहर ऊसर, जौ पै ह्रिदय राम बसे मोरा।
जौ कासी तन तजै कबीरा, तौ रामहिं कवन निहोरा।।
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