सबद-78
माया संधि दर्शन प्रकरण
अब हम जानिआ हो, हरि बाजी की खेल।
डंक बजाय दिखाय तमासा, बहुरि लेत सकेल।।
हरि बाजी सुर नर मुनि जहंडे़, माया चाटक लाया।
घर में डारि सकल भरमाया, ह्रिदया ग्यान न आया।।
बाजी झूठ बाजीगर सांचा, साधुन की मति यैसी ।
कहैं कबीर जिन जैसी समुझी, ताकी गति भौ तैसी।।
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