सबद-104

पाखण्ड प्रकरण

कैसे तरो नाथ केसे तरो, अब बहु कुटिल भरो।
कैसी तेरी सेवा पूजा, कैसो तेरो ध्यान।।
ऊपर उजल देखो, बग अनुमान।
भाउ तो भोवंग देखो, अति बेविचारी।।
सुरत सचान तेरी, मति तो मंजारी।
अति रे विरोधी देखो, अति रे सेआना।।
छव दरसन देखो, भेख लपटाना।
कहैं कबीर सुनो नर बंदा, डाइन डिंभ सकल जग खंदा।।

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