सबद-74

कुयोगी प्रकरण

ऐसो जोगिया बदकरमी, जाके गगन अकास न धरनी।
हाथ न वाक पांव न वाके, रूप न बाके रेखा।।
बिना हाट हटवाई लावै, करै बेयाई लेखा।
करम न वाके धरम न वाके, जोग न वाके जुगुती।।
सींगी पत्र किछउ नहिं वाके, काहे को मांगै भुगुती।
मैं तोहि जाना तै मोहि जाना, मैं तांहि मांहि समाना।।
उतपति परलै एकहु न होते, तब कहु कवन ब्रह्म को ध्यान।
जोगी आनि येक ठाढ़ कियो है, राम रहा भरपूरी।।
वोखद मूल किछउ नहि वाके, राम सजीवन मूरी।
नटवट वाजा पेखनि पेखै, बाजीगर की बाजी।।
कहैं कबीर सुनो हो सन्तो, भई सो राज बेराजी।

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