Kabir ke sabad
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सबद-80
आत्म उद्बोधन प्रकरण
बन्दे करिले आप निबेरा।
आपु जिअत लखु आपु ठौर करु, मुये कहाँ घर तेरा।।
यहि औसर नहि चेते हो रे प्रानी, अन्त कोई नहिं तेरा।
कहैं कबीर सुनो हो सन्तो, कठिन काल का घेरा।।
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