सबद-77

आत्मावल्म्बन प्रकरण

आपन आस कीजै बहुतेरा, काहु न मरम पावल हरिकेरा।
इन्द्री कहां करे विसरामा, सो कहां गये जो कहत होते रामा।।
सो कहां गये जो होत सयाना, होत म्रितुक वहि पदहि समाना।
रामानंद रामरस माते, कहैं कबीर हम कहि-कहि थाके।।

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