सबद-114
सावधान प्रकरण
सावधान प्रकरण
सत्पुरुष के द्वारा सृष्टि विकास प्रकरण
सत्त सबद से बांचिहो, मानहु इतवारा हो।
अछै मूल सत पुरस है, निरंजन डारा हो।।
तिरदेवा साखा भये, पत्ती संसारा हो।
ब्रहा्रा वेद सही कियो, सिउ जोग पसारा हो।।
बेस्नु माया उत्पति कियो, ई उरले वेवहारा हो।
तीन लोक दसहू दिसा, जम रोकिन द्वारा हो।।
कीर भये सब जीअरा, लिये विख का चारा हो।
जोति सरूपी हाकिमा, जिन्ह अमल पसारा हो।।
करम की बंसी लाय के, पकरो जग सारा हो।
अमल मिटावों तासु की, पठवौं भौ पारा हो।।
कहैं कबीर निरभै करौ, परखो अकसारा हो।
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