सबद-94

निर्गुण ईश्वर  प्रकरण

कहु हो निरंजन कउने बानी।
हाथ पाउ मुख स्त्रवन जिभ्या नहिं, का कहि जपहु हो प्रानी।।
जाकतिहिं जोति-जोति जउ कहिये, जोति कवन सहिदानी।
जोतिहिं जोति-जोति दै मारै, तब कहाँ  जाकति समानी।।
चारि बेद ब्रह्मा जउ कहिया, उनहुं न या गति जानी।
कहैं कबीर सुनो हो संतो, बूझो पंडित ग्यानी।।

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